देह का मन से मिलन करिए।
प्रभु से नाता मन से जोड़ें।
धैर्य नियम को प्रतिदिन धरिए
ध्यान आसन की छाप छोड़ें।।
योग जीवन सुंदर आयाम
कर्म-कुशलता करते रहिए।
गात कांतिमय करे अभिराम
धर्म मार्ग से कभी न हटिए।।
योग कर्म जिसने अपनाए
काया को मजबूत बनाता ।
अद्भुत सौम्य परम सुख पाए
सुखद आनंद मधुमय पाता।।
योग-क्षेम का भाव जगाएँ।
घर का अभिनव मित्र बनाएँ।।
देव कांत मिश्र ‘दिव्य’ मध्य विद्यालय धवलपुरा, सुलतानगंज, भागलपुर, बिहार
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