भानु खड़ा द्वार पर,
घूँघट उठाती निशा,
शीत का आगाज हुआ,ओढ़ ले कंबल आज।
सुबह पत्तियाँ करे,
तुहिन से श्रृंगार जी,
सूर्य प्रभा पड़ते ही सप्तरंग करे नाज़।
पक्षियों का कलरव,
गगन विस्तार पर,
सुनहरे पंख फैला,पाते अपना स्वराज।
मंडराते फूलों पर,
भौंरा चूसे मकरंद,
स्वादिष्ट ये सुधा रस,करे पुष्ट रक्षा काज।
एस.के.पूनम
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