लहराईं परचम,
दिखलाई दमखम,
आज हमारे देश को, बेटियों पे नाज है।
रही नहीं छुई-मुई,
देखो कामयाब हुई,
एक बार फिर सजा, सिर पर ताज है।
थके बिना माने हार,
चलता जो लगातार,
कड़ी मेहनत ही-सफलता का राज है।
बेटी को भी बेटा मानो,
ताकत को पहचानो,
शांत रह चुपके से, दे रही आवाज है।
जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
म.वि. बख्तियारपुर पटना
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