लिखना पहला प्रेम साबित हुआ।।

Jyoti Rita

लिखना पहला प्रेम साबित हुआ।।

लिखना सबसे बड़ा गुनाह था
हम गुनहगार हुए

जन्म के साथ ही झाड़ू कटका में हम निपुण हुए
सुबह की चाय पिता के बिस्तर छोड़ते ही
रात का दूध बिस्तर पर जाते ही पहुँचा दिए गए
पिता ने आशीर्वाद में अच्छा पति दिया

माँ ने पुश्तैनी गहने दिए
भाई ने घर के बाहर सुरक्षा दी
बोलने की सलाहियत हमसे छीन ली गई
हमारे कलम से स्याही सोख ली गई

हम घर की दीवार पर टोटके की तरह लटका दिए गए हमारी चुप्पी घर में दंभ का बचा होना था

हमें बस ‘क’ से कबूतर
‘का’ से काम रटाया गया

हम ‘क’ से कलम
‘का’ से कागज़ रट गए

हम बोले कम लिखे ज़्यादा
हम हँसे कम रोए ज़्यादा
इस तरह दरकने से खुद को बचाए रहे 

हमने चौका-चूल्हा के बाद सोचने की जहमत उठा ली
गहरी रात में हम लिखते रहे
कागज़ पर खींच दी एक लकीर
हमने गुड़िया की चाबी तोड़ दी

हम तक़सीर (अपराधी) हुए
मवाद भरा नासूर हुए
नापाक हमें मान लिया गया

लिखना पहला प्रेम साबित हुआ
बाक़ी सब बिवाई। ।

ज्योति रीता
शिक्षा- एम. ए. ,एम.एड. (हिन्दी साहित्य)
विनोबा भावे विश्व विद्यालय हजारीबाग।

वृति-  अध्यापन  (बिहार सरकार)
[+2 लालजी उच्च विद्यालय रानीगंज अररिया]

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2 thoughts on “लिखना पहला प्रेम साबित हुआ।।

  1. नारी की वेदना, उसकी सीमाओं एवं सामाजिक बंधनों का आपने बाद ही सहज और सरल चित्रण किया है|

  2. बाद के स्थान पर बड़ा पढ़ने का कष्ट करें

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