वन उपवन के प्राणी प्यारे,
जीवन के ये शुभ सितारे।
धरती का ये संतुलन बनाएँ,
प्रकृति की नित शोभा बढ़ाएँ।
शेर दहाड़े वन जंगल में जाकर,
हिरण नाचे कुलांचे भर कर।
मोर-मयूर करें सब अनोखे नृत्य,
बुलबुल,कोयल करें संगीत-सा कृत्य।
गज के झुंड चले होकर मदमस्त,
वन का हर कोना सजीव अलमस्त।
नदियों में मछलियाँ तैरते जाएँ,
उड़ें पखेरू नभ को करीब पाएँ।
पर मानव ने इसे खूब बिगाड़ा,
शिकार कर वन को उजाड़ा।
पेड़ कटे तो आश्रय उजड़े,
निर्दोष जीव संकट में पड़े।
सिंह, गज, बाघ, गैंडा प्यारे,
अब सब संकट में पड़े बेचारे।
लोभ में मानव बनता हत्यारा,
जंगल को करता बंजर सारा।
अब भी समय, चेत हमें अब,
बचा लें इनका जीवन सब।
न विटप कटे,न ही जीव मरें,
धरती पर सब संग विचरें।
विश्व वन्य जीव दिवस मनाएँ,
वन्य संरक्षण का दीप जलाएँ।
प्राणी बचेंगे, तब वन लहराएँ,
तभी धरा पर सुख मुस्काएँ।
सुरेश कुमार गौरव,
‘प्रधानाध्यापक’
उ. म. वि. रसलपुर,फतुहा, पटना (बिहार)
