वहीं है कबीर – दया शंकर गुप्ता

daya

जो निंदक को पास बिठाता है,
जो अपना घर स्वयं जलाता है,
जो पत्थर को पूज्य बताता है,
जो खुदा को बहरा बुलाता है,

इस अंधविश्वासी समाज में भी,
जिसका जिंदा है जमीर।
वही है कबीर।।

जो भाई चारा समझता हो,
औरों को दुखी न करता हो,
हर बात को खुद परखता हो,
आंखे मूंद न फॉलो करता हो,

जिसके पास सब कुछ होते हुए भी
रहता हो जैसे फ़कीरl
वहीं है कबीर।।

जिसका अच्छा व्यवहार है,
जिसके सद्गुणी विचार हैं,
जिसे पूरे विश्व से प्यार है,
हर जगह ही जय जयकार है,

जो ऊंच-नीच, जात-पात, भेद-भाव का
बदल रहा हो तस्वीर।
वहीं है कबीर।।

अब हम सभी को आगे आना है,
इस विश्व को सभ्य बनाना है,
सिर्फ इंसानियत धर्म अपनाना है,
बाकी सब धर्म भुलाना है,

जब सभी कबीर बनेंगे तब
बदलेगी इस दुनिया की तकदीर
हम सभी हैं कबीर।।
हम सभी हैं कबीर।।

धन्यवाद 🙏

रचनाकार
दया शंकर गुप्ता
प्रा0 वि0 देवरिया
मोहनियां, कैमूर

0 Likes
Spread the love

Leave a Reply