वासंती महक- सुरेश कुमार गौरव

पीली-पीली सरसों की बगिया,
लहराए खेतों में नव अभिलाषा।
पतझड़ की उदासी को छोड़कर,
लाया वसंत हर्ष की परिभाषा।

प्रकृति ने ओढ़ी हरियाली चूनर,
फूलों में घुली नव मधुर मुस्कान।
कोयल गाए प्रेम का अनोखा हूनर,
मन में जागे नवजीवन का ज्ञान।

हल्की-हल्की बयार में सुगंध बसी,
कुसुमों की बातों में रस घुला है।
रंग-बिरंगे सपनों का उत्सव सजी
हर ह्रदय में वासंतिक प्रेम मिला है।

सरस्वती माँ का हम वंदन करें,
ज्ञान और बुद्धि की हो बरसात।
मन आँगन में रंग वसंत के भरें
मन सद्भावना से भरे हर बात।

वसंत जीवन में भर दे उजियारा,
आशा, उल्लास, उमंग अपार।
वसंत पंचमी का यह पावन पर्व,
लाए हम सब के संग नई बहार।

सुरेश कुमार गौरव
‘प्रधानाध्यापक’
उ. म. वि. रसलपुर, फतुहा, पटना (बिहार)

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