विद्यालय और सामाजिक बदलाव
शिक्षा समाज का किस्सा है।
विद्यालय इसका हिस्सा है।।
विविध रूप जो बोल रहे हैं।
स्व परिवेश को घोल रहें हैं।।
विद्यालय भाव जगाता है।
समता का पाठ पढ़ाता है।।
नवाचार यह अपनाता है।
शुभ विचार भी सिखलाता है।।
समय बदलना समझाता है।
जीवन पल-पल सिखलाता है।।
बच्चा विद्यालय आता है।
सुनियोजित पथ वह पाता है।
समता का भाव पनपता है।
गिरकर बच्चा सम्हलता है।।
तन-मन से सभी निखरता है।
सपनों को पर भी मिलता है।।
यह मानक रूप बताता है।
निर्णय की क्षमता लाता है।।
विद्यालय पाठ पढ़ाता है।
बच्चा समाज में लाता है।।
वैसा हीं बाग महकता है।
जैसा प्रसून वह रखता है।।
रजकण समाज में उड़ता है।
विद्यालय जैसा चलता है।।
दोनों हीं पूरक होता हैं।
सदा बदलाव जो बोता हैं।।
विद्यालय ज्ञान बढ़ाता है।
संशय को दूर भगाता है।।
राह सभी को दिखलाता है।
नव समाज सदा बनाता है।।
गुण-अवगुण का बोध कराता है।
सतत बदलाव यह लाता है।।
जीवन सुखमय जो पाना है।
समाज को सभ्य बनाना है।।
विद्यालय सही चलाना है।
पाठक को पाठ पढ़ाना है।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश, पालीगंज, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978
