विद्यालय संजोती, दिव्य ज्ञान सरिता- हरिप्रिया छंद
आओ समझें ऐसे,
गढ़ें संबंध जैसे,
बनता समाज वैसे, प्रकट करे ललिता।
सीख परिवार देती,
आस-पास की खेती,
विद्यालय संजोती, दिव्य ज्ञान सरिता।
भाव भिन्नता पाले,
अनेक बोली वाले,
रखते सोच निराले, एक रूप सविता।
बालको के बीच में,
शिक्षक के समीप में,
सीख लेते रीत में, भाव धरें समिता।
ऊंँच- नीच को छोड़े,
सभी रूढ़िवाद तोड़े,
सम भाव नेह जोड़े, विद्यालय सबमें।
मानक रूप सीखते,
विकार हाथ खींचते,
नवीन आँख मीचते, दुर्गुण से सहमें।
शंका समाधान होता,
संस्कृति मिलान होता,
अनुभव महान होता, रहे नहीं गम में।
सहज सूचना पाकर,
समन्वय को बनाकर,
व्यक्तित्व को बढ़ाकर, समाज के मन में।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश, पालीगंज, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978
