विधा: दोहा
पृथ्वी दिवस मनाइए, लेकर नव विश्वास।
जन-जन को जागृत करें, पेड़ लगाएँ पास।।
हरित दिखे धरती सदा, ऐसा लें संकल्प।
वृक्षारोपण में कभी, जोश न हो अल्प।।
पादप अपने हाथ रख, आज करें संकल्प।
इसमें ही सुख-शांति है, कभी न हो यह अल्प।।
तरुवर पुत्र समान हैं, मिलती इनसे शांति।
रखें सुरक्षित सर्वदा, तभी मिलेगी कांति।।
नित्य प्रदूषण बढ़ रहा, चिंतित सकल समाज।
स्वयं क्यों नहीं पूछता, मिला कर्म फल आज।।
हरित बनाएँ मन सदा, फैलाएँ संदेश।
हरियाली में शांति है और सुखद परिवेश।।
काटेंगे यदि वृक्ष तो, नहीं मिलेगी छाँव।
राही को सुख राह के, नहीं मिलेंगे ठाँव।।
होती धरती तप्त जब, तभी विटप की याद।
स्वयं मनुज करते नहीं, अंतस् से संवाद।।
अपने पावन हाथ से, करिए सुंदर काम।
पेड़ लगाकर हम सभी, रखें धरा अभिराम।।
नहीं वर्ष में एक दिन, वृक्ष लगाएँ आप।
लगा विटप हर मास में, छोड़ें अपनी छाप।।

देवकांत मिश्र ‘दिव्य’
मध्य विद्यालय, धवलपुरा, सुलतानगंज, भागलपुर, बिहार
