छठी मईया का व्रत अनोखा,
धूप में तपते श्रद्धालु लोका।
सूरज को अर्घ्य देने का ये पर्व,
मिटाता दुखों का हर एक खर्व।
सूरज की किरणें पावन छवि,
आस्था में डूबी हर सजीव गाथा नई।
जल में खड़े होकर प्रार्थना का मान,
छठी मईया रखती सबका ध्यान।
सूप में फल, नारियल का दान,
मन में बसे श्रद्धा का मान।
सूरज के संग जल में सजे दीए,
मन में खुशियाँ और उमंग लिए।
उगा सूरज तो सबका चेहरा खिला,
डूबते को अर्घ्य से संतोष मिला।
छठी मईया का आशीष अनमोल,
सच्चे मन से पूजा करें हम सब लोग।
शक्ति, समर्पण और पवित्रता का भाव,
छठ पर्व का है ये विचित्र प्रभाव।
सुख-समृद्धि से भरे हर दिल का आँगन,
छठी मईया की कृपा से बने उज्ज्वल जीवन।
भोला प्रसाद शर्मा,
डगरूआ, पूर्णिया (बिहार)
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