शब्द भेद की सार्थकता – अमरनाथ त्रिवेदी

Amarnath Trivedi

शब्द भेद की सार्थकता

शब्द  में   कितनी     शक्ति    छिपी   है ,
हम     इस    बात    को   जरा    जानें ।
एक  समय  बच्चा   को कहें  बउआ  ,
उसी बच्चे को फिर  उल्लू कहकर    पहचानें ।

दोनों शब्द आपके ही मुख से निकले ,
पर दोनों  में     बहुत  भारी    अंतर !
प्रथम शब्द  से जो  खुशी   मिली थी ,
दूसरे शब्द   से हुई     खुशी छूमंतर ।

है   शब्द   ब्रह्म ; अक्षर   अविनाशी ,
इसे    निज   मन    में भी  धर   लें ।
किन शब्दों का  प्रयोग  कहाँ  करेंगे  ,
यह सद्विचार    निज   मन  कर लें ।

अब जानें  शब्द  के  भेद  रूप   को ,
कुछ  आगे    का     भी    ज्ञान  करें   ।
सार्थक   और   निरर्थक   शब्द  को ,
एक      एक    कर   पहचान    करें ।

सार्थक     शब्द    वे     होते   हैं ,
जिनके   अर्थ     हमेशा     होते ।
जुड़े   होते    युक्तिसंगत  क्रम  में ,
न कभी  भाव  कहीं  भी   खोते ।

अमर , भलाई  , चंदन  ,कंबल में ,
युक्तिसंगत अक्षर  क्रम  में दिखते ।
ऐसे    ही    शब्दों     को    हमेशा ,
सार्थक        शब्द      हैं      कहते ।

निरर्थक    शब्द     कहलाते     हैं    वे ,
जिनका  कभी  कोई   अर्थ  नहीं  होता ।
वैसे  शब्द में  युक्तिसंगत  क्रम नहीं होता ,
न    भाव     ही  कहीं अपना    बोता ।

यथा नकर  , उपके , चलेमी शब्द से ,
कोई  अर्थ     निकल   नहीं     पाता ।
ऐसे   ही शब्द   निरर्थक     कहलाते ,
इनमें   भाव  तनिक भी  नहीं   आता ।

संज्ञा , सर्वनाम ,विशेषण , क्रिया शब्द में ,
लिंग , वचन के अनुसार  परिवर्तन  होते ।
यही      शब्द    विकारी     कहलाते ,
हैं  यथास्थान  जो  रूप निज के  खोते ।

वे     शब्द   अविकारी         कहलाते  ,
जिनमें किसी हालत में बदलाव न   होते ।
वाक्य   प्रयोग   करते   समय   कभी  भी ,
निज     स्वरूप    कभी   न     खोते ।

अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा , जिला मुजफ्फरपुर

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