शब्द भेद की सार्थकता
शब्द में कितनी शक्ति छिपी है ,
हम इस बात को जरा जानें ।
एक समय बच्चा को कहें बउआ ,
उसी बच्चे को फिर उल्लू कहकर पहचानें ।
दोनों शब्द आपके ही मुख से निकले ,
पर दोनों में बहुत भारी अंतर !
प्रथम शब्द से जो खुशी मिली थी ,
दूसरे शब्द से हुई खुशी छूमंतर ।
है शब्द ब्रह्म ; अक्षर अविनाशी ,
इसे निज मन में भी धर लें ।
किन शब्दों का प्रयोग कहाँ करेंगे ,
यह सद्विचार निज मन कर लें ।
अब जानें शब्द के भेद रूप को ,
कुछ आगे का भी ज्ञान करें ।
सार्थक और निरर्थक शब्द को ,
एक एक कर पहचान करें ।
सार्थक शब्द वे होते हैं ,
जिनके अर्थ हमेशा होते ।
जुड़े होते युक्तिसंगत क्रम में ,
न कभी भाव कहीं भी खोते ।
अमर , भलाई , चंदन ,कंबल में ,
युक्तिसंगत अक्षर क्रम में दिखते ।
ऐसे ही शब्दों को हमेशा ,
सार्थक शब्द हैं कहते ।
निरर्थक शब्द कहलाते हैं वे ,
जिनका कभी कोई अर्थ नहीं होता ।
वैसे शब्द में युक्तिसंगत क्रम नहीं होता ,
न भाव ही कहीं अपना बोता ।
यथा नकर , उपके , चलेमी शब्द से ,
कोई अर्थ निकल नहीं पाता ।
ऐसे ही शब्द निरर्थक कहलाते ,
इनमें भाव तनिक भी नहीं आता ।
संज्ञा , सर्वनाम ,विशेषण , क्रिया शब्द में ,
लिंग , वचन के अनुसार परिवर्तन होते ।
यही शब्द विकारी कहलाते ,
हैं यथास्थान जो रूप निज के खोते ।
वे शब्द अविकारी कहलाते ,
जिनमें किसी हालत में बदलाव न होते ।
वाक्य प्रयोग करते समय कभी भी ,
निज स्वरूप कभी न खोते ।
अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा , जिला मुजफ्फरपुर
