शरद
पूर्णिमा का
सोलह कलाओं से
परिपूर्ण होता
चाँद।
दूधिया
रोशनी बिखेरता
प्रेम चाँदनी संग
दिलोंजान से
करता।
घटता
बढ़ता चाँद
वक़्त परिवर्तन की
सुंदर कहानी
कहता।
शीतलता
चाँद की
शरद पूर्णिमा में
मन शीतल
करता।
चाँदनी
रोगमुक्त करती
अमृत वर्षा कर
खुशियाँ फिर
बरसती।
खूबसूरत
हुई रातरानी
चाँदनी में नहाकर
काया निर्मल
होती।
स्वागत
शीत का
उमस को अलविदा
शरद पूर्णिमा
करती।
रूचिका
रा. उ. म. वि. तेनुआ,गुठनी सीवान, बिहार
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