शराबी
उसे है होश नहीं
पल भर का भी जोश नहीं
ये वक्त है खामोश नहीं
पीने वालों के मन में किसी के लिए रोश नहीं
वह चला जा रहा मद माता
नशे में चूर गाता बजाता
ना अपनों का होश है ना जिजीविषा न जोश है
शराब की बोतलों से दूर करता
न जाने वह कैसा आक्रोश है
उसे शराब की लत हो गई
ये बात जमाने वालों के लिए गलत हो गई
अपने भी साथ छोड़ देते हैं
वो सब्र का बांध तोड़ देते हैं कोई बताए उसे कि गम दूर नहीं होते हैं पीने से
पूछो उनसे जो दुखों को नहीं लगाते हैं अपने सीने से
औरों पर होकर क्रुद्ध
अपनों से करें महायुद्ध
वो निढाल हो जाता है
पर उसे होश नहीं कि उसके अपनों का क्या हाल हो जाता है कैसे सबको वो ताड़-ताड़ जाता है इस तरह वो जिंदगी की जंग हार जाता है।।
प्रियंका प्रिया
श्री महंत हरिहरदास उच्च विद्यालय पूनाडीह ,
पटना