आज शत शत नमन करें उनका,
जिन्होंने शिक्षा का दीप जलाया।
हम सबने उस ज्योति शिखा को,
हर पल अपने गले लगाया।।
नमन करें उस राष्ट्र शिक्षक को,
जिनने शिक्षक का मान बढ़ाया।
हर वर्ष उनकी शुभ जयंती पर ,
है सबने श्रद्धा सुमन चढ़ाया।।
नमन करें उन पुरोधा को,
जिनने शिक्षक की गरिमा बढ़ाई।
राष्ट्र निर्माता बनकर उन्होंने,
हर दिल में अमर ज्योति जलाई।।
नमन करें हम उन गुरुओं का,
जिन्होंने अक्षर ज्ञान कराया।
हम सबको पढ़ने को प्रेरित कर ,
सबमें ज्ञान की ज्योति जलाया।।
नमन करें उन भाई-बहनों का,
जो शिक्षक का दायित्त्व निभाते हैं।
उनके कंधों पर महती जिम्मेवारी
जो बच्चों को सही राह बताते हैं।।
है शिक्षक की भूमिका निराली,
हर बच्चे में भर दें खुशियाली।
शिक्षक यत्न करें पूरे दिल से,
यह अमूल्य समय कभी जाए न खाली।।
शिक्षक जीवन की यही पहचान,
धरती, अंबर उनके फरमान।
बसते सदा बच्चों में जान ,
केवल उनके ऊपर हैं भगवान।।
बिना शिक्षक के ज्ञान न होता,
है बिना ज्ञान के सब बेकार।
हैं शिक्षक ज्ञान के आगार,
न इनके बिना होता उद्धार।।
ज्ञान ही अनमोल रत्न है,
जिसे चोर नहीं चुरा सकता।
खर्च करो नित बढ़ता जाए ,
न कोई कभी बाँट सकता।।
इससे दशा, दिशा मिलती है,
हर गुरुओं के नित प्रांगण में।
इससे ही तय होता सब ,
हर कार्य क्षेत्र समरांगन में।।
ऐसे अनमोल धन को जिनसे पाएँ,
उनको याद सदा दिल में रखना।
गुरुओं के प्रति श्रद्धा तुम्हारी,
उन्हें मन में बसाए सदा रखना।।
अपने-अपने गुरुजनों का,
कभी दिल दुखाया मत करना।
उनसे हर दिन शिक्षा लेकर,
नित आगे ही बढ़ते रहना।।
रचयिता :
अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर विद्यालय बैंगरा
प्रखंड- बंदरा, जिला- मुजफ्फरपुर