है प्रयत्न सफलता का पोषक ,
यह मर्म हमारे साथ रहे ।
हर भाँति मनुज में हो शांति ,
यदि शिक्षा का हम साथ गहें ।
शिक्षा को पाकर धन्य सभी ,
आनंदरूप ; विश्वमान्य तभी ।
नित शाप कटे; सुपंथ गढ़े ,
जन -जन का ज्ञान ;सौभाग्य बढ़े ।
है महिमा शिक्षा की न्यारी ,
करती चहुँ दिश पहरेदारी ।
बल ,बुद्धि;विपुल विकास करे ,
जनमानस का भय नाश करे ।
जीवन मे मिलती हैं खुशियाँ ,
जो शिक्षा को पा जाते हैं ।
वे मरकर भी अमर होते ,
जो शिक्षा को सखा बनाते हैं ।
जीवन की ज्योति निखरती है ,
शिक्षा की अविरल धारा से ।
जीवन मे सुरभि है भरती ,
शिक्षा की अमृत धारा से ।
जन – जन को शिक्षा है प्यारी ,
यह सदा – सदा मंगलकारी ।
हे कल्याणमयी ; सुखदायिनी तू,
हे भाग्य विधाता वाहिनी तू ।
जन -जन में फैले वह शिक्षा ,
जो समूल पाप का नाश करे ।
मिट जाए भ्रम , भय कुशिक्षा ,
जो समूल संताप विनाश करे ।
रचयिता :-
अमरनाथ त्रिवेदी
प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्च विद्यालय बैंगरा
प्रखंड – बंदरा ( मुज़फ़्फ़रपुर )