कलम उठाई है मैंने,
अब हूं लिखने को तैयार।
सत्य स्याह से खूब लिखूंगी,
झूठ कपट पर कर प्रहार।
ईर्ष्या , नफरत, घृणा द्वेष सब,
यूं जायेंगे अब तो हार।
प्रेम ,स्नेह, सदाचार रहेंगे,
दिखेंगे जन्नत सा संसार।
रूढ़िवादी सोच मिटेगी,
शिक्षा से जग होगा उजियार।
बेटा – बेटी दोनों बराबर,
कहता समता का अधिकार।
बाल विवाह पर रोक लगाना,
कानून कहता है हरबार।
बाल मजदूर को मुक्त कराओ,
पढ़ना बच्चों का अधिकार।
मानव चरित्र को गिरा रहा है,
नैतिकता का हो रहा ह्रास।
अपने कर्मों के कारण हीं,
मानव जीवन में इतना त्रास।
पैसों के खातिर मानव में
मानवता रही ना शेष,
लूट खसोट करने को वह तो,
बनाकर निकला है छद्म वेश।
अरे अज्ञानी! सम्हल भी जाओ,
सदाचार की राह अपनाओ।
मेहनत और संघर्ष से अपने,
जीवन में लाओ नयी बहार।
संत शरण में जाओ मानव,
मिटेगा तम अंतस का दानव।
गुरु युक्ति पर चलकर अब तो,
कर लो अपनी बेड़ा पार।
स्वरचित:-
मनु रमण “चेतना”
पूर्णिया बिहार