ॐ श्री पुरुषोत्तम स्वामी।
सर्वातीत सर्वघट-गामी।।
निर्गुण मायारहित अनन्ता।
मायाधीश सगुण भगवन्ता।।
परम दयामय लीलाधारी।
पृथिवी-भार-हरन अवतारी।।
भव-दुख-भंजन, दुष्ट-विनाशी।
बन्दीगृह निज रूप विकाशी।।
बन्दीसुत बन्धक-दल-गंजन।
वासुदेव श्री देवकीनंदन।।
नन्दकुमार यशोमति-लाला।
गोप -मनोहर बाल -गुपाला।।
कृष्णचन्द्र चितचोर कन्हैया।
मोहन मोहनि वेणु बजैया।।
सुन्दर वदन कमल-दल-लोचन।
प्रेम-सुधा-निधि शोक-विमोचन।।
श्रीयमुना तट खेल खेलैया।
काली फन पर नाच नचैया।।
बिपद-हरण गोबरधन-धारी।
दीन-बन्धु सुरपति-मद-हारी।।
श्री वृन्दावन-धेनु-चरैया।
चतुरानन को भरम-मिटैया।।
राधा -वल्लभ रास बिहारी।
शंकर-मन-मोहन बनवारी।।
केशीमर्दन असुर निकन्दन।
सकल कष्ट -हरव्रज-जन-रंजन।।
मधुपुर-जनता शोक-विनाशी।
कंसादिक सूदन सुखराशी।।
उग्रसेन सिर छत्र झुलावा।
न्यायशील निष्काम स्वभावा।।
ब्रह्मचर्यव्रत पालनहारी।
जगहित मर्यादा अनुसारी।।
गुरु-सुवन यम -पाश मिटावा।
जगमंगल गुरु-शोक नसावा।।
धर्म-नीति-निधि पर सुखकामी।
मथुरा त्यागि द्वारकागामी।।
करुणामय आरत-दुःख-हारी।
रुक्म-दमन रुक्मिणी-सुखकारी।।
जरासन्ध-मर्दन भय -भंजन।
बन्दी नृपजन-बन्धन-खंडन।।
धर्मराज यग कर्ता भर्ता।
पद-पखारि सेवा सिर धर्ता।।
सहनशील रणवीर उजागर।
शिशुपाल-गति-प्रद गुणसागर।।
मीत सुदामा-तंडुल-भोजी।
दीन-दुखी-संपत-सुख योजी।।
द्रुपद-सुता की टेर-सुनैया।
शरणागत की लाज रखैया।।
पांडव-काज-बनावनहारा।
अत्याचार मिटावनहारा।।
सन्धिदूत सर्वहितकारी।
सर्वभूत-मंगल-प्रण-धारी।।
कौरव षट रस भोजन त्यागी।
निजजन साक पात अनुरागी।।
धर्म वीर सतधर्म -सहायक।
पारथ-सारथि युद्ध-विनायक।।
जगत-गुरु गीता-प्रतिपादक।
जगमंगलमय पथ-प्रचारक।।
कर्म-अकर्म तत्त्व-उपदेशक।
अर्जुन-भ्रमहर युद्धप्रेरक।।
पाण्डव जयप्रद नीति सुवेत्ता।
भारत राज्य स्थापक नेता।।
उत्तरसुत पुनि जीवन-दाता।
सत्य शील गौरव दर्शाता ।।
यादव -वंश-कलंक-विनाशक।
मुद मंगल चहुंदिशि प्रसारक।।
लीला स्वयं समेटनहारी।
जय जय परमानन्द बिहारी।।
केशव तव गुणनाम अनन्ता।
क्या बरनऊँ हारे श्रुति सन्ता।।
सौ अरु आठ नाम की माला।
रच गायो तव चरित रसाला।।
विनय यही मम परम निधाना।
जपूँ सदा जब लगि घट प्राना।।
मनन करौं श्रीमुख उपदेशू।
गीता परम दिव्य संदेशू।।
इस असार संसार में संतन का व्यवहार।
श्री कृष्ण-गीता मनन श्रेय प्रेय दातार।।
प्रेषक-हर्ष नारायण दास
प्रधानाध्यापक
मध्य विद्यालय घीवहा, फारबिसगंज
जिला-अररिया, बिहार