माघ मास की पूर्णिमा, दिन था वो रविवार।
रविदास था नाम पड़ा, काशी में अवतार।।
कलसा गर्भ से जन्में, पिता रग्घु के द्वार।
गोवर्धनपुर ग्राम में, देने पथ संसार।।
मन चंगा भाव जो रखें, पा ले गंगा धार।
सीख दिया संसार को, तजिए बुरा विचार।।
भक्ति भजन के मूल थे, निश्छल सद्व्यवहार।
अभिमान त्याग रैदास, रूढ़ता पर प्रहार।।
आडंबर को तोड़कर, ऊॅंच-नीच धिक्कार।
संत शिरोमणि हो गये, पूज रहा संसार।।
मीरा के वो गुरु बने, उनके गुरु करतार।
ब्रह्म भाव रैदास के, वाणी विमल विचार।।
सहज भाव कविता रची, भाषा सरल उदार।
थवल कर्म रैदास के, बने हृदय झंकार।।
गुरु ग्रंथ की वाणी में, उनकी अमर पुकार।
रैदास को नमन करे, पाठक बारंबार।।
राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज, पटना