रोते को हँसाना सीखें,
जग में नाम कमाना सीखें।
कभी न झगड़ा झंझट करें,
दिल खुशियों से भरा करें।
मन से दुख को जाएँ भूल,
यही जीवन में रखना वसूल।
जीवन में सुख-दुःख आता जाता,
यही प्रकृति को बड़ा सुहाता।
क्रोध, ईर्ष्या को न दिल में लायें,
सबके मन निज बातों से हर्षायें।
नई किरणें नई हैं बातें,
रोज करना नई शुरुआतें।
कृतज्ञ बनें, धन्यवाद करें हम,
ईश्वर से कभी न विमुख रहें हम।
ईश्वर हैं जो सबकी सुनते,
सबकी माँगे पूरी करते।
हम बालक हैं भोले नादान,
झोली भर हम सबको दें वरदान।
परम पिता का यह जग है सारा,
उनका रचा सुंदर संसारा।
कभी न ईर्ष्या, द्वेष बढ़ायें,
मातृभूमि को सदा शीश नवायें।
माता-पिता सम देव हमारे,
उनके ही हम राज दुलारे।
उनका कहना नित ही मानें,
निज जीवन को सफल तब जानें।
अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा,जिला-मुजफ्फरपुर