सत्प्रवृत्ति के सोपान – अमरनाथ त्रिवेदी

Amarnath Trivedi

कर्त्तव्य हमारे  ऐसे  हों नित ,

जहाँ मन की मलिनता न छाए।

सदुपयोग, अधिकार का ऐसे करें ,

जहाँ अहंकार तनिक भी न आए।

परहित धर्म कभी न छोड़ें ,

निज कर्त्तव्य से मुख न मोड़ें।

सच्ची उन्नति तभी होती है,

जब दिल में सद्भाव भरी होती है।

जीवन जीने का मकसद समझें,

व्यर्थ की बात में कभी न उलझें।

हर बच्चे को यह ज्ञान कराएँ,

अपना दायित्व वे खूब निभाएँ।

चरित्र हमारा ऐसा हो पाए,

जो औरों के अनुकरणीय बन जाए।

लोभ, मोह से दूर रहें हम ,

झूठ, क्रोध को दूर करें हम।

याद रखें यह बात हमेशा,

मन में तब न रहे क्लेशा।

लोभी कभी न यश पाता है ,

क्रोधी हमेशा मित्र खोता है।

आचरण के धनी  जरूर बनें हम,

जीवन में यह चरितार्थ करें हम।

कभी शब्द बाण ऐसे न चलाएँ,

जिससे किसी का दिल आहत हो जाए।

मन की मलिनता दूर करें हम,

सज्जनता को अंगीकार करें सब।

हम सत्य मार्ग को चुनें हमेशा,

तभी बनी रहेगी शांति हमेशा।

अपने लिए तो सब जीते हैं,

पर के लिए भी जीना सीखें।

इससे ही सद्भाव बढ़ेंगे,

इससे ही कर्त्तव्य बनेंगे।

अपने लिए जो सोच धरेंगे ,

दूसरे के लिए भी वही करेंगे।

ऐसा करने से सद्भाव बढ़ेगा,

अहम् पाप का दोष मिटेगा।

हर बच्चे में कर्त्तव्य जगाएँ,

जीवन उनका सफल कर जाएँ।

जीवन को खुशियों से हम तभी भरेंगे,

जब कर्त्तव्य मार्ग से सभी जुड़ेंगे।

अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर विद्यालय बैंगरा
प्रखंड- बंदरा, ज़िला- मुज़फ्फरपुर

0 Likes
Spread the love

Leave a Reply