सत्य के राही महात्मा गाँधी- अमरनाथ त्रिवेदी

Amarnath Trivedi

भारत   के   महाकाश  में ,
एक नक्षत्र-सा  बिंबित हुआ।
सत्य अहिंसा का धीरव्रती वह,
भूमंडल पर प्रतिबिंबित हुआ।।

बचपन से ही सत्य, न्याय का,
भाव  सदा  अर्पित  करता।
बाल्यकाल से ही नियम नीति का,
प्रभाव  सदा  उत्पन्न  करता।।

पढ़ने  में सामान्य  यह   बालक,
न कभी नकल  किया  करता था।
चोरी  का  कोई  भाव  न  था,
वह  अक्ल   दिया   करता   था।।

होनहार  इस   बालक   में,
थी   सदा  असीम   गहराई।
न छुआछूत का भाव तनिक,
थी  सब  में   समत्व लखाई ।।

विदेश  जाते वक्त  जो उसने,
अपनी माता को वचन दिया था।
प्राण प्रण से उस वचन की रक्षा,
आजीवन  उसने   किया   था।।

दक्षिण अफ्रीका में ट्रेन की यात्रा
वह   कितनी  थी  दुःखदायी?
मन पर कितना बोझ  पड़ा  था,
वह   समय   थी   पीड़ादायी।।

दृष्टि  यहाँ से   करवट   ली,
भारत  माता को आजाद कराऊँ।
आजाद  देश का  नागरिक  बन,
स्वतंत्रता  के  दीप   जलाऊँ।।

दक्षिण अफ्रीका से  लौटा यह रत्न ,
बन  बैठा   था   वह   योगी।
भारत  माता  को  आजाद कराने,
में  जुट   गया   वह  कर्मयोगी।।

जालियाँवाला बाग  में निहत्थे,
कितने   असंख्य   कटे  थे।
डायर  की  काली  करतूतों से,
अपनी ही धरा पर वीर सपूत पटे थे।।

गाँधी जी को कितनी पीड़ा हुई,
इसे न कोई जान सका था।
मन ही मन अंग्रेज भगाने को,
वह  निश्चय ही  ठान चुका था।।

दांडी  मार्च नमक आंदोलन का,
वह चर्चित  अगुवाई किया था।
छोड़ी  थी  तब  अमिट   छाप,
जब वह अतुल संघर्ष किया था।।

स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत बन,
स्वतंत्रता के दीप वे बरसा गए।
बुझने  न  पाए   एक   दीप भी,
हमें  उस  ज्ञान  से  सरसा  गए।।

सत्य पर अटल विश्वास उनका,
सत्य  ही  उनकी  शक्ति  थी।
सत्य सदा  जीवन में प्रवाहित,
सत्य  ही उनकी अभिव्यक्ति थी।।

अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर विद्यालय बैंगरा
जिला- मुजफ्फरपुर

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