शिक्षक कहलाते ज्ञान रचयिता
अनुशासन के होते नियम संहिता।
कहलाते हर प्रश्नों के हलकर्ता,
सत्य-असत्य के निर्णयकर्ता।
जीवन में जो ज्ञानदीप जलाते,
हर अंधियारे को शीघ्र मिटाते।
सुसंस्कारों की छवि बढ़ाते,
मन उजियारा भाव बताते।
पथ भ्रमित को राह दिखाते,
दृढ़ संकल्पों को सदा सजाते।
कठिनाई से लड़ना सिखलाते,
सपनों में नव विश्वास जगाते।
ज्ञान की गंगा सदा बहाते,
दीप शिक्षा का नित्य जलाते।
शिष्य-जीवन सुरभित करवाते,
कर्तव्य की वे मूरत कहलाते।
नमन उन्हें, जो प्रेरक बनते,
सत्य-पथ पर जीवन रचते।
शिक्षक हैं ईश्वर के प्रतिरूप,
हटा देते अंधकार का रूप।
सुरेश कुमार गौरव,
उ. म. वि. रसलपुर, फतुहा, पटना (बिहार)
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