सदाचार कुछ बचपन के होते,
इसे अपनाकर हम अवगुण खोते।
माता-पिता के कुछ सपने होते,
उसे पाने पर सब अपने होते।
सारी दुनिया जल, माटी से गोल,
दुनिया में हम बच्चे अनमोल।
बचपन में आनंद से बोलें,
देशभक्ति के शब्द भी घोलें।
मन में लिए तराजू तोल,
तब वाणी मुख से कुछ बोल।
कभी न वाणी कड़वी बोल,
देख इसका कितना है मोल।
सबकी दुआएँ सबके बोल,
हम अपने मन के अंदर तोल।
हम बच्चे हैं एक से मोल,
जहर ऊँच-नीच का कभी न घोल।
माता-पिता का कहना मानें,
तब होंगे हम अधिक सयाने।
हम सब बच्चों की हो यही पहचान,
अनुशासन पर रहे नित ध्यान।
अनुशासन ही महान बनाता,
जीवन धन्य हमें कर जाता।
समय से भोजन समय से पढ़ाई,
लगते जीवन में अति सुखदाई।
बड़ों की इज्जत छोटों से प्यार,
यही चाहिए हम बच्चों के संस्कार।
जीवन में यदि करना है अच्छा,
तो कर्म करें सदा ही सच्चा।
जीवन में कुछ अच्छा कर जाएँ,
बड़ों की सीख सदा मन भाए।
ईर्ष्या द्वेष न कभी मन में लाना,
कठिन काम से कभी जी न चुराना।
किए उपकार को सदा रखें याद ,
नहीं मिलेगा कभी विषाद।
अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड-बंदरा, जिला- मुजफ्फरपुर