समय/काल
दोहे
समय नहीं है छोड़ता,चाहे हो बलवान।
युग आए ठहरे नहीं,थोड़े दिन की शान।।
समय परख सज्जन चले,दुर्जन खोए मान।
पार्थ लिए श्री कृष्ण से,दुर्योधन हतवान।।
ठहरा जो सड़ता गया,समय पार ज्यों आम।
अश्वत्थामा से हुआ,अक्सर कुत्सित काम।।
रहे समय जब साथ में,चेतो रे इंसान।
काया रहे न संग में,छोड़ो एक निशान।।
समय रेत-सा बह गया,ठहरा नहीं बसंत।
ऊॅंचे पर्वत धॅंस रहे,क्योंकर मानव हंत।।
रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’
प्रधानाध्यापक मध्य विद्यालय दरवे भदौर
भंडारक पटना बिहार
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