सामाजिक बदलाव में स्कूल की भूमिका
बच्चों में नूतन ज्ञान देकर ,
शान से हम उन्हें बढ़ाएँ ।
सामाजिक बदलाव की प्रक्रिया में ,
हम उन्हें ऐसे शामिल कर पाएँ ।।
हो न कसक किसी तरह की ,
परिवर्तन का नव युग है आया ।
ज्ञान है यदि सबके मन मंदिर में ,
तभी सामाजिक बदलाव का दौर समाया ।।
बढ़ते स्कूल के नए चरण की ,
सामाजिक ताने बाने उत्तर दे रहे हैं।
कल्पना से भी परे होकर ,
कई बच्चे शाबाशी ले रहे हैं ।।
यही है एक शोर बहुत ही ,
जो सुनाई दे रहा है ।
अमित आकर्षणों के बदौलत ही ,
यह स्वरूप विशाल ले रहा है ।।
हमेशा बदलाव की शक्ति ही ,
सृजनता की महती कारक ।
स्कूल भी अब तेजी से बदल रहे ,
है यह भी अति सुखकारक ।।
बड़े बदलाव की बयार भी ,
बह चली है ऐसी धरा पर ।
स्कूल भी बदलाव की ,
पटकथा लिख रहा स्व उर्वरा पर ।।
है शान की बात यह ,
अज्ञानता का लोप हो रहा है ।
ज्ञान की अभिवृद्धि से ,
अनगिनत अंधविश्वास भी खो रहा है ।।
समाज में बदलाव की ,
अभी जो सूरत दिख रही है ।
स्कूल ही वह महती कारक है ,
जो इस जीवंतता को लिख रही है ।
बिंब यदि स्कूल को माने ,
तो प्रतिबिंब ही समाज है होते ।
जैसी शिक्षा स्कूल मे मिलती ,
वैसे ही समाज भी ढोते ।
सामाजिक परिवर्तन में ,
स्कूल की भूमिका है जरूरी ।
इसके बगैर किसी परिवर्तन की ,
नहीं होती आस कभी पूरी ।।
सपने वही जो हकीकत बने ,
वहीं मार्ग प्रशस्त होता है ।
जीवन की सारी उपलब्धियों को,
परिवर्तन की उम्मीद ही ढोता है ।।
अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा , जिला मुजफ्फरपुर
