सूरज बाबा, ओ सूरज बाबा,
तुमसे रोशन है जग सारा।
सुबह-सवेरे तुम मुस्काओ,
धरती को तुम खूब सजाओ।
सूरज बाबा निकले सुबह,
लेकर अपनी रथ की किरण।
सारा जग करता उजियारा,
धरती का हर एक कण।
सूरज बाबा तुम हो प्यारे,
हमको दिखते तेज तुम्हारे।
तुमसे सीखें मेहनत करना,
रोशनी से है दुनिया भरना।
सोने जैसा रंग तुम्हारा,
दिन भर रौशनी का सहारा।
तुमसे खेतों में हरियाली,
फूलों में मस्ती और लाली।
सूरज बाबा, ओ प्यारे सूरज,
तुम हो सबके राज दुलारा।
दिन ढलते ही छुप जाते हो,
चाँद-सितारे फिर आते हो।
सुबह जब फिर से आना तुम,
नए उजाले दिखाना तुम।
सूरज बाबा, ओ सूरज बाबा,
तुमसे रोशन है जग सारा।
भोला प्रसाद शर्मा
डगरूआ, पूर्णिया (बिहार )
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