युगों से इंतजार था,
जिसे सारी दुनिया को,
बिहार ने दिया छठ-
पर्व की सौगात है।
दिन रात निराहार-
रह अरदास करें,
व्रतियों को वर देते-
रवि अवदात हैं।
आपसी निभाती प्रीत,
महिलाएं गाती गीत,
नदी-ताल घाट जूटी-
लोगों की जमात है।
जल – थल-नभ जीव,
किरणें जीवन देती,
सूरज के रथ संग-
घोड़े जूते सात हैं।
जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
म.वि. बख्तियारपुर, पटना
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