भारत की यशस्वी युग नेत्री ,आजातशत्रु, ओजस्विनी ममतामयी ,विदुषी स्व.सुषमा स्वराज जी को पूण्य तिथि पर भाव भीनी श्रद्धांजलि!
सुषमा कोटि कोटिशः वंदन,
अम्बाला मे जन्मी बिटिया ,
देश का चन्दन भाल हुई ,
कण कण तृण तृण देश की थी ,
माँ के कंठ का हार हुई ।
शैशव से ही गमक उठी ,
तरुणाई में तो चमक उठी ,
युवती जब कमसिन ही थीं ,
मंत्री बन वो दमक उठीं ।
पद का था कुछ भी मोह नहीं ,
सेवा ही था कुछ और नहीं ,
नेता प्रतिपक्ष या मंत्रिपद ,
जनसेवा थी कुछ और नहीं ।
मनभावन थी ममतामूर्ति ,
सहज शुलभ प्रभुताकीर्ति ,
कभी हुआ कही कुछ क्लेश नहीं ,
था तनिक किसी से द्वेष नहीं।
अजातशत्रु थी सर्व मित्र ,
सरस्वती वरद संघर्ष पुत्री ,
दुर्गा का था वह तेज सहज ,
लक्ष्मी सी वो थी सौम्य चित्त ।
रग रग में बसता देशप्रेम ,
रोम रोम में रचता था ये देश ,
भागीरथी श्रम निरत अशेष ,
दधीचि का तप था विशेष ।
तुम कहो की ऐसी सुषमा को ,
क्या धरा कभी भूल पायेगी ,
क्या आने वाली भी पीढ़ी ,
सुषमा को फिर दुहरायेगी ।
कोटिशः नमन कोटिशः वंदन ,
कोटि कोटि तेरा अभिनन्दन ,
हिय तू बसे मृदुल रस नंदन ,
भारत के रज कण का चन्दन ,
सुषमा कोटि कोटिशः वंदन ।
डॉ स्नेहलता द्विवेदी आर्या
उत्क्रमित कन्या मध्य विद्यालय शरीफगंज कटिहार
Dr. Snehlata Dwivedi

