मनहरण घनाक्षरी छंद
कल जिसे विदा किया,
वह साल बीत गया,
गुजरा जमाना अब-
नमन पुराने को।
छोड़ के पुरानी बातें,
मिलकर काम करें,
वक्त फिर आया गिले-
शिकवे भुलाने को।
भारत महान देश,
दुनिया में नहीं शेष,
अपना इतिहास है-
बताना जमाने को।
सभी बुद्धिजीवी कवि,
बनाएं पुरानी छवि,
हमारी जिम्मेवारी है-
गौरव बढ़ाने को।
जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
म.वि. बख्तियारपुर, पटना
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