करे उजाला अखिल विश्व में
तम को दूर भगाते हैं।
हम शिक्षक हैं ज्ञान के सागर
ज्ञानामृत पिलाते हैं।।
कैसी भी मुश्किल आ जाए
तनिक नहीं घबराते हैं।
अगर अंधेरा छा जाता है
जुगनू हम बन जाते हैं।।
हाथ पकड़ कर राह दिखाते
मंजिल तक पहुंच जाते हैं।
संस्कारों के हैं बीज हृदय में
आरोपित हम करते हैं।।
जीवन कैसे बने सुहाना
दुनिया को समझाते हैं।
रण छिड़ता जहां कहीं भी
रक्षा कवच बन जाते हैं।।
विपदा जब आयी दुनिया में
सबको धीर बंधाते हैं।
महामारी के दौर में हम
देवदूत बन जाते हैं।।
जन सेवा है धर्म हमारा
अपना धर्म निभाते हैं।
जिस माटी में जन्म लिए है
उसका क़र्ज़ चुकाते हैं।।
मीरा सिंह “मीरा”
+२ महारानी उषारानी बालिका उच्च विद्यालय डुमराँव, जिला-बक्सर, बिहार
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