हिंदी हिंदुस्तान की
गौरव राष्ट्र के आत्मसम्मान की,
सुरभित वाटिका हूँ मैं
भाषारूपी बागान की,
मैं हिंदी हिंदुस्तान की।
राजभाषा का दर्जा
है मेरी आन और शान भी,
है मेरा हर ओर प्रसार
मुहताज़ नहीं मैं किसी पहचान की
मैं हिंदी हिंदुस्तान की।
प्रेम की सरिता ले बही
मैं हर प्रांत की सीमा में,
हर लफ़्ज़ में मेरी वाणी
मैं हर शब्दों की महिमा में।
साँझ की हूँ सिंदूरी लाली
सुबह की उदित उषा हूँ मैं,
अरुणोदय-सा दीप्तिमान
है लावण्यमय कीर्तिमान,
मैं ही आशाओं की नव विहान भी,
मैं हिंदी हिंदुस्तान की।
संजय कुमार (अध्यापक)
इंटरस्तरीय गणपत सिंह उच्च विद्यालय, कहलगाँव
भागलपुर, बिहार
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