-: हिन्दी -:
हिन्द की पहचान, हिंदी,
राष्ट्र का स्वाभिमान, हिंदी,
सकल जगत को यह पता है,
सभ्यता की शान, हिंदी।
राष्ट्रध्वज का मान, हिंदी,
प्यार का आह्वान, हिंदी,
चहूं दिशा में शोर है यह,
अन्याय पर संग्राम, हिंदी।
विकास का उदघोष, हिंदी,
विश्व प्रगति परितोष, हिंदी,
गर सम्भल जो न सके तो,
विनाश पर है रोष, हिंदी।
विश्व प्रगति की राह, हिंदी,
आम जन की चाह, हिंदी,
चूम ले प्रगति के शिखर को,
दास बनकर साध, हिंदी।
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विजय शंकर ठाकुर

