हे कृष्ण! आप महान हैं सदा इस जीव जगत में
मानव जीवन लीलाओं को खुद करके दिखाया
बचपन से अंतिम वय तक जीवन कर्म सिखाया
असत्य पर सत्य की विजयपथ भी दिखलाया
हे कृष्ण! आप महान हैं सदा इस जीव जगत में!!
जब आई पृथ्वी पर मानव रक्षा करने की बारी
कंस रुपी दुरात्मा की अत्याचारी का खात्मा किया
लीलाओं से कभी कालिया नाग का मर्दन किया
कभी पर्वत को भी अंगुली पर उठाकर चौंका दिया
हे कृष्ण! आप महान हैं सदा इस जीव जगत में!!
आप की “कृष्ण-लीला” जग में है अपरंपार
एक माँ ने जन्म दिया और एक मांँ ने पाला
मजबूरी थी या कर्म लीला सब जग ने देखा
कंस से बचने के लिए कारागार खुद गए खुल
नंद गाँव जाने के लिए मानो नदी भी गई झुक
पिता वासुदेव ने अपने पितृ धर्म को निभाया
कंस से बच मुक्ति दिलाने नंद गाँव पहुँचाया
हे कृष्ण! आप महान है इस जीव जगत में!!
यशोदा का नंद लाला कहला “माखनचोर” कहलाए
माता यशोदा को कृष्ण लीलाओं के खूब दर्शन कराए
नंद गाँव के पनिहारियों की गगरी भी गुलेल से खूब तोड़े
माखन चुराकर खूब खाए यशोदा माता को खूब रिझाए
नटखट गोपाल बाल रुप का जग को बालक मर्म बताए
हे कृष्ण! आप महान हैं सदा इस जीव जगत में!!
बचपन में कृष्ण-सुदामा की मित्रता भी विशाल निभाई
मित्रता के छिपे मर्म को भी अपनी लीला से खूब सीखाई
भले हो अमीर और गरीब या राजा और रंक, खाई मिटाई
मानव जीवन में मित्रता धर्म की कुशल रीत भी खूब बताई
भेदभाव से परे अपनी कर्म लीलाओं से दयाभाव दिखाई
हे कृष्ण! आप महान हैं सदा इस जीव जगत में!!
कभी राधा ने इसीलिए प्रेम रुपी माला जपी थी आपकी
दुनिया में राधा-कृष्ण का प्रेम अनंत भी आपने ही बतलाई
प्रेम रस की परिभाषा को भी दुनिया में आपने ही सीखाई
ढाई अक्षर प्रेम का प्रेम प्रतीक बाँसुरी भी आपने खूब बजाई
राधा को प्रेम आसक्त में खींचा कभी गैया के लिए
बाँसुरी की मुरली धुन से जनमानस में खूब लीला दिखाई
हे कृष्ण ! आप सदा महान हैं इस जीव जगत में!!
“भगवत गीता” में “गीता सार” देकर सांसारिक ज्ञान दिया
युद्ध भूमि में न कोई अपना है और न ही कोई पराया
बस युद्ध जीतना है जैसे भी यह तार्किक गुण बतलाया
कल किसने देखा है समय कर्म की रीत का काल चक्र है
जीवन कर्म जरुरी है कर्म ही पूजा है कर्म ही ईश्वर है
अपने गीता सार देकर कर्म-ज्ञान को धर्म कर्म बतलाया
हे कृष्ण! आप सदा महान हैं इस जीवन जगत में!!
आपकी सोलह कलाएँ भी दुनिया में है खूब प्रचलित
इससे मानव नित सीखते और करते जाते वे कर्मजीत
आप कर्म धर्म और भक्ति मार्ग के भी सदा पर्याय बने
मानव जीवन काल के सभी लीलाओं के दाता भी बने
जब तक है यह जीवन जगत आपकी बातें रहेंगी जीवित
कर्मों की सभी आपकी गाथाएँ भी सदा रहेंगी अविजित
हे कृष्ण! आप सदा महान हैं इस जीव जगत में!!
सुरेश कुमार गौरव, शिक्षक, उ. म. विरसलपुर,
फतुहा, पटना, बिहार