फागुन की बयार लाए मौसम की फुहार,
उदास मन में लाए नवीनता की बहार ,
सूने चमन में छाए उमंगों की खुमार,
अनकहे रिश्तों में लाए बेहतरीन निखार,
टूटे दिलों को जोड़े ऐसे रंगतों में सुमार,
फगुआ, आमोद प्रमोद का एकमात्र त्योहार,
आपसी भाईचारे को बनाता खास,
प्रेम बंधुत्व में घोलता, नई मिठास,
सूने जीवन को रंगीन बना, करता सपने साकार,
आपसी रंजिश मिटा, लोग होते गुलजार,
एक दूजे संग करवाहट भूला, होते एक,
लाल हरी पीली मगर गुलाल होते एक,
गालों पर लगी रंगों की लाली,
हाथ में सजी गुलाल से भरी थाली,
लगाकर एक दूसरे को गले, जतलाते प्यार,
ये बस एक रिवाज नहीं, है अनोखा त्योहार।
विवेक कुमार
उत्क्रमित मध्य विद्यालय,गवसरा मुशहर
मुजफ्फरपुर, बिहार
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