पंछी-अशोक कुमार

पंछी हम पंछी स्वतंत्र रूप में, बंद पिंजरे में न रह पाएंगे। कभी चहकना कभी फुदकना, गुलामी की दास्तां स्वीकार नहीं।। खुले में रहना स्वच्छ वातावरण में, दाना चुगने दूर…

पानी की बर्बादी रोको-विजय सिंह नीलकण्ठ

पानी की बर्बादी रोको पानी की बर्बादी रोको बर्बाद करे जो उसको टोको जल स्रोतों को ध्यान से देखो कूड़े कचरे न इसमें फेंको। जल से ही जीवन संभव है…

भिक्षुक-रीना कुमारी

भिक्षुक देखो बच्चो भिक्षुक आया, दरवाजा उसने खटखटाया, मैले-कूचे कपडों में आया, मनही मन जैसे भरमाया, सब दिखाये उसपर माया, देखो बच्चो भिक्षुक आया। झोली उसकी फटी-चिटी, आँखें उसकी धसी-धसी,…

हमारा प्यारा संविधान-नरेश कुमार निराला

हमारा प्यारा संविधान हम भारत के नागरिक हैं तिरंगा हमारी शान है, लोकतंत्र की रक्षा हेतु बना विशाल संविधान है। हजारों बलिदानों के बाद हमने आजादी पायी है, गणतंत्र के…

संस्कारों से प्यार है-नूतन कुमारी

संस्कारों से प्यार है जो बना ले संतुलन परिस्थिति से, करे द्वंद्व स्वयं से और नियति से, कायम करे वर्चस्व, अपने कृति से, पाना देना व त्यागना सीखें संस्कृति से,…