प्रकृति माँ-कुमकुम कुमारी

प्रकृति माँ माटी के कण-कण को आओ, मिलकर हम चंदन करें। पर्यावरण के शुभ दिवस पर, माँ प्रकृति का वंदन करें। हरी-भरी ये धरा हमारी, माँ प्रकृति ने इसे सजाया…

पर्यावरण-भोला प्रसाद शर्मा

पर्यावरण सोच-सोचकर ये मन सोच नहीं पाता, क्यों हे! मानव पर्यावरण को छ्लाता। कहता मैं कर्म करता नित भला सबका, पर व्यावहारिक पुरुषार्थ कभी न दिखलाता। मन मसक्क्त की गलियों…

नादान मानव – संगीता कुमारी सिंह

नादान मानव प्रकृति मॉं ने कितना समझाया, सतर्क ,सावधान किया, न माना मानव, तो डराया, धमकाया, पर नादान मानव! जिद पर अड़ा हुआ है, चाँद पाने की ख्वाहिश में, धरती…