कैसी हो मेरी संकुल की पाठशाला – अरविंद कुमार अमर

कैसी हो मेरी संकुल की पाठशाला, मन में यह प्रश्न कोंध रहा है? कैसी हो मेरी संकुल की पाठशाला। सजा -सजाया सुन्दर उपवन, नूतन निर्मल हो हर माला, ञ्यान मधू…

पृथ्वी की है करुणा पुकार-अरविंद कुमार अमर

पृथ्वी की है करुणा पुकार–: पृथ्वी की है करूणा पुकार, सुन लो मनुष्य इसे बार-बार । महलों-दो महलों को बनाकर, हम पर मत डालो इतना भार। सभी वृक्षों को नष्ट…

कर्मयोगी – कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”

जीवन में कुछ करना है तो, मन को मारे मत बैठो। बनकर दीन–हीन ऐ बंदे, हाथ पसारे मत बैठो। माना अगम अगाध सिंधु है, हार किनारे मत बैठो। छोड़ शिथिलता…

वीर बन, युद्ध कर-मधु कुमारी

वीर बन, युद्ध कर ——————— स्थिति परिस्थिति कितने भी हो प्रतिकूल तुम अपनी आत्म शक्ति पहचान, मत भूल चाहे राह में हो अनेकों…….. शूल ही शूल तू युद्ध कर, उड़ा…

शुभकामना संदेश-कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’

शुभकामना संदेश नववर्ष के उपलक्ष्य में, शुभकामना है मेरी। यही कामना है मेरी, शुभकामना है मेरी। हम नित यूँ ही बढ़ते जाएँ, अपनी मंजिल को हम पाएँ। अपने शुभ कर्मों…