चित्रगुप्त-नीतू रानी “निवेदिता”

Nitu

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चित्रगुप्त

सबसे पहले
चित्रगुप्त का मतलब
चित्र-का मतलब तस्वीर यानि फोटो
गुप्त-गुप्त का मतलब अंदर की बात बाहर प्रकट न हो यानि गुप्त बात।

जो-जो करते हैं अच्छे बुरे कर्म
उनपर रखते हैं वो कड़ी नजर,
खींच लेते हैं वो तुरंत उनकी फोटो
नहीं होने देते किसी को कोई खबर।

अच्छे कर्म करने वाले को भेजते हैं स्वर्ग
बुरे कर्म वाले को भेजते हैं नरक,
वो रखते सबका बही-खाता और
उसी को देखकर सबको देते हैं कर्मफल।

बस संत महात्मा हीं हैं ऐसे महापुरुष
जो स्वर्ग नरक पर करते खखार,
और उनको मिलता है अपवर्ग
क्योंकि वो देते हैं सबको ज्ञान
और करते हैं सदा सत्य व्यवहार।

उन्हीं संत महात्माओं में आते हैं
हमारे चित्रगुप्त जी महाराज,
ईश्वर के हैं ये काया
बस जन्म-मरण का लेखा-जोखा
हीं है उनका काम-काज।

इसीलिए मेरे भाई कभी न करना ऐसा काम
जिससे चित्रगुप्त महाराज जी को लिखना पड़े
खाता-बही में आपका नाम,
करना सदा तुम अच्छा काम
जिसमें न हो लोभ, मोह और भय
सभी एक साथ बोलो चित्रगुप्त महाराज की जय।

नीतू रानी “निवेदिता”
पूर्णियाॅ॑ बिहार

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