सूर्य और प्रकृति एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण में-सुरेश कुमार गौरव-पद्यपंकज

सूर्य और प्रकृति एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण में-सुरेश कुमार गौरव

Suresh kumar

Suresh kumar

सूर्य और प्रकृति एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण में

          सूर्य और प्रकृति ही संपूर्ण जीव जगत और मानव जाति का सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है।
एक तरह से सूर्य ही सबसे बड़े वैद्य के रुप में हैं क्योंकि सूर्य ही स्वास्थ्य विलक्षणता के सबसे बड़े श्रोत हैं। सूर्य विटामिन डी का सबसे बड़ा श्रोत है।

आईए हम जरा इन तथ्यों और आधारों पर गौर करें :👇🏿 कोरोना महामारी के काल में सूर्य और उसकी किरणों के महत्त्व को लोगों ने या कहें पूरी दुनिया ने समझा। ब्रिटेन की एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी में हुए एक अध्ययन में अप्रैल माह में बताया गया कि सूर्य की किरणों के संपर्क में आने से स्किन नाईट्रिट आक्साईड रिलीज करते हैं। इसलिए जिन क्षेत्रों में लोग सूर्य के संपर्क में रहते हैं वहां कोरोना से मौतें कम होती हैं। विज्ञान सूर्य को विटामिन डी का सबसे बड़ा श्रोत मानता है। इसकी सीमित मात्रा में एक्सपोजर कई बड़ी बीमारियों से बचाता है।

अमेरिका के चीफ वेलनेस आफिसर डाक्टर माईकल रोइजेन के अनुसार – सूर्य की किरणों का हमारे मस्तिष्क से सीधा संबंध है। संतुलित मात्रा में सूर्य की किरणों से मस्तिष्क सेरोटोनिन नाम का हारमोन रिलीज करता है। ये हार्मोन हमारे दिल-दिमाग को तरोताजा रखता है और एकाग्रता को भी बढ़ाता है। सूर्य की किरणें अवसाद में जाने से बचाती हैं। सेरोटोनिन को हैप्पीनेस हार्मोंन भी कहते हैं।

पांच सौ से भी ज्यादा अध्ययनों से डेटा आधारित मशहूर लेखिका और शोधकर्ता डाक्टर मिथुन स्टोरोनी के अनुसार – हम दिन भर में नियत ताप पर जितना सूर्य के संपर्क में रहेंगे रात में उतना हमें माईटोलिन हार्मोन बनेगा। इससे नींद भी अच्छी आएगी और नींद की गुणवत्ता भी बढ़ेगी।

विटामिन डी से न केवल हड्डियां मजबूत होती हैं बल्कि इम्यूनिटी बढ़ाने में भी सहायक है। एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की मानें तो सूर्य की यूवी किरणें संतुलित एक्सपोजर ब्लड प्रेशर को कम करता है। इससे स्ट्रोक और दिल की बीमारियों का खतरा बहुत ही कम होता है।

सुबह-सुबह हल्की सूर्य की किरणों के बीच आधे से एक घंटे के बीच रहने से शरीर का वजन संतुलित रहता है। कमर की चर्बी भी कम होती है। शरीर से मोटापा भी धीरे धीरे दूर होता है। बशर्ते इसका पालन नियमित हो।

एक वैज्ञानिक आधार के अनुसार – सूर्य की किरणों से संतुलित एक्सपोजर से स्किन कैंसर का खतरा कम होता है। सूर्य की किरणें पैंक्रियाटिक और प्रोस्टेट कैंसर से भी बचाती है।
वहीं हम विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो सूर्य की रोशनी सोरायसिस, एक्जिमा, पीलिया, मधुमेह (डायबिटिक) और कई तरह के स्किन संबंधी बीमारियों से बचाती है।

सभी तथ्यों और आधारों का सारांश यह है की हमें सूर्य और प्रकृति के अनुसार बताए नियमों पर चलना होगा तभी हमें विभिन्न प्रकार की व्याधियों से निजात मिल सकेगी।

सूर्य यदि न हो तो संभवत: पूरी दुनिया ही विशिष्ट हो जाए। संसार में पेड़-पौधे, जीव-जंतु सहित समष्टि के रुपों को एक तरह से सूर्य ही देखरेख करते हैं। फिर प्रकृति ने जो भी हम पृथ्वी वासियों को जल, नभ और थल रुपों में पर्यावरण वन जंगल, हवा, आकाश और क्षितिज दिए हैं इनका पालन कर ही हम संसार को नष्ट होने से बचा सकते हैं।

हमारे भारतीय संस्कृति रिवाजों और मान्यताओं में धर्म और विज्ञान दोनों का एक तरह से संबंध बना रहा है। इसे आस्था के प्रतीक के रुप में भी हम सभी देखते आए हैं। इसका मतलब यह हुआ कि हम इन्हें आस्था के रुप में भी नमन करें और वैज्ञानिक पहलूओं पर भी गौर कर चलें।
आपसबों को आस्था के इस महान सूर्योपासना सूर्यषष्ठी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।

✍️सुरेश कुमार गौरव

पटना (बिहार)
स्वरचित और मौलिक
@सर्वाधिकार सुरक्षित

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