दीपावली – एम के शशि

Dr MK Shashi

दीपों की जगमग से,
आशियाना खिल गया।
उसको भी जैसे ,
मुस्कुराने का सवब मिल गया।

त्यौहार आया,जगमगाते हैं दीप हर घर में,
खुशियों के द्वार खुले,रौनक हर घर में।
पकवानों की सुगन्ध से,मन सबका मचल गया।
उसको भी जैसे मुस्कुराने का सवब मिल गया।

सुंदर पेड़ों में झिलमिलाते सितारे हैं।
बाहर मुन्ना खड़े पापा को बुलाते हैं।
मुन्ना का मन तो,पटाखों पर मचल गया।
उसको भी जैसे मुस्कुराने का सवब मिल गया।

चमकते घर जैसे हम भी दमकते रहें।
मिलजुल कर मनाए उत्सव, हम भी चहकते रहें।
परिवार संग खुशियां मनाने का सवब मिल गया।
उसको भी जैसे मुस्कुराने का सवब मिल गया।

रोशनी की जगमग से,कोई घर न छूट जाए।
सबके दिल भी रोशन हो,प्रेम का दीप प्रज्जवलित हो जाए।
हमारे प्रयत्न से यदि किसी एक का घर भी रोशन हो गया।
उसको भी जैसे मुस्कुराने का सवब‌ मिल गया।

दीपों की जगमग से,आशियाना खिल गया।
उसको भी जैसे मुस्कुराने का सवब मिल गया।

MK SHASHI
High School,Simri
Dist- Buxar

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