भैया दूज – अपराजिता कुमारी

Aprajita

ये जो बंधन है मजबूत रिश्तों का
भाईयों और प्यारी बहनो का
दुनिया का सबसे खूबसूरत
रक्षासुत्र के धागे सा लिपटा
अबुझ और है अनमोल रिश्ता

बचपन से लड़ते झगड़ते
एक दूसरे से रूठते मनाते
एक दूसरे की फिक्र करते
साथ साथ खेलते कुदते
साथ सारी शैतानीयां करते

पल पल साथ साथ बढ़ते
बढ़ती समझदारी उम्र के साथ
सारे झगड़े हैं बदलते जाते
फिक्र दुलार प्यार देखभाल में
रोक टोक सही ग़लत की
समझदारी भरे व्यवहार में

वह दिन आता है जब बहनों को
घर से विदाई करने की बेला आती
कुछ टूट रहा होता भाई के मन में
सब छूट रहा होता बहना के मन में

हो जाती बहना जब भाई से दूर
करती फिर सालो भर इंतजार
फिर आता भैया दूज का त्यौहार
हर्षित पुलकित करती इंतजार
भाई भी करते बहनों का इंतजार

एक दिन में ही पा जाती वषों का
नेह स्नेह, प्यार दुलार, मनुहार
नहीं चाहती कुछ भी, लेना है बस
भाई के सब दुख दर्द चिंता फिकर
चाहती भाई के सब कष्ट हर लेना

बहना देती है ढेरों दुआएं
देती है वह तो ढेरों आशीर्वाद
चाहती है अपने हिस्से की सारी
खुशियां दे देना प्यारे भाईयों को

भाई का घर रहे, सुख खुशियों से भरा
अटूट अनमोल है कच्चे धागे सा
लिपटा बंधा ये अद्भुत अनोखा रिश्ता।

स्वरचित एवं मौलिक
अपराजिता कुमारी
राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय
जिगना जगरनाथ
प्रखंड हथुआ
जिला गोपालगंज

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