पापा की परी- मीरा सिंह “मीरा”

Meera

तुफानों से लड़ी हूं मैं
मुश्किल से कब डरी हूं मैं।
लहरों की मैं करूं सवारी
हिम्मत बल से भरी हूं मैं।।

अम्मा की हूं सोन चिरैया
अपने पापा की परी हूं मैं।
पांव मेरे है आज जमीं पर
अम्बर छूने चली हूं मैं।।

लाख जंजीरें बांधे कोई
एक पल नहीं रूकी हूं मैं।
अंगारों पर दौड़ पड़ी हूं
कांटों पर भी चली हूं मैं।।

मुझे रोकना नहीं आसान
जान रहा है यह जहान।
जितनी बार मैं तोड़ी गयी
कद से होती बड़ी हूं मैं।।

आज देख ले मुझे जमाना
सबसे आगे खड़ी हूं मैं।
मंजिल मेरी आंखों में है
उम्मीदों से भरी हूं मैं।।

मीरा सिंह “मीरा”
+२, महारानी उषारानी बालिका उच्च विद्यालय डुमराँव जिला-बक्सर,बिहार

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