क्रोध के अतिरेक से बचें- मो.मंजूर आलम

Nawab

गुस्सा….
हर किसी को है आता ,
यह स्वाभाविक भी है-
लेकिन क्या आपको है पता ?
यदि आप गुस्सा प्रकट नहीं करते,
तो खतरे से हैं खेलते!
जी हां,
गुस्सा आए तो झट करें इजहार;
वरना पड़ जाएंगे बीमार ।
पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी ने किया है खुलासा
ज्यादा देर तक न दबाएं गुस्सा!
मस्तिष्क को है नुकसान पहुंचता
ब्रेन स्ट्रोक हो सकता है
या फिर जान भी जा सकती है!
क्रोध प्रकट करने में ही भलाई है,
वरना मौत अपनी आपने खुद ही बुलाई है।
शोधकर्ताओं ने बताया-
गुस्सा दबाकर रखने से कोरोटिड धमनियों में गंदगी जमने लगती है-
जिससे ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है,
मस्तिष्काघात कब हुआ पता नहीं चल पाता है?
महिलाओं का भावनात्मक स्वभाव
उसके शारीरिक स्वास्थ्य को हानि पहुंचाता है।
इन दोनों में आपसी संबंध भी होता है,
इसी कारण उच्च रक्तचाप
और सीने में दर्द होता है।
मस्तिष्काघात…अमेरिका में मौत का है तीसरा बड़ा कारण,
ब्रिटेन में चौथा
सो छोड़ दें करना गुस्सा!
जो लोग जल्दी और छोटी-छोटी बातों पर क्रोध करते हैं,
उनमें ब्रेन स्ट्रोक, किडनी , मोटापा संबंधी बीमारियों के खतरे हैं।
ज्यादा पसीना ,अल्सर और अपच की समस्याएं होती हैं,
गुस्से से हृदय के रक्त को पंप करने की क्षमता कम होती है।
महिलाओं में स्ट्रोक का खतरा अधिक होता है,
यह मासिक धर्म चक्र,
हार्मोनल गर्भ निरोधक;
और गर्भावस्था की जटिलताओं से भी जुड़ा होता है।
ब्रेन स्ट्रोक से दिमाग का नस फट जाता है,
जिससे रक्त का थक्का बन जाता है;
जो आगे आॅक्सीजन युक्त रक्त के प्रवाह को रोकता है।
विद्वानों के अनुसार महिलाएं तर्क से बचने,
रिश्ते के टूटने से बचाने के प्रयास में;
अपने विचारों और भावनाओं को दबातीं हैं,
जो उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में कमी लाती है।
अतः अकारण गुस्सा त्यागें,
आए तो झट प्रकट कर दें।
दबाने से बचें,
स्ट्रोक से बचे रहेंगे;
लंबी आयु तक आप जीयेंगे।
(मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं)

©✍️ मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर
प्रधानाध्यापक,
उमवि भलुआ शंकरडीह तरैया (सारण)

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