ठ्काय गेला- जयकृष्णा पासवान

Jaykrishna

अंगिका
आज को दिन कहिन्ह,
उदास लागैय छै ।
वार-वार हमरा कहिन्ह,
प्यास लागैय छै ।।
ग़रीबी के पसीना हम्म,
गमछी स पोछला ।
कि करबै हम्म केकरो,
नाय पुछला ।।
सभ्भे त मिली गेलैय,
हम्मी त फुटाय गेला।
बाबू हो हम्म ठ्काय गेला।।२
हमरा खातिर बाबू ,
की नाय करलकै ।
पढ़ाय लिखाय करी,
जमीनों बेचलकै ।।
सब दिन सूखों के,
ढ़ेर म बसला ।
बेरोज़गारी महंगाई के,
फेर म फसला।।
रोज़गार के चक्कर म,
हम्मी फेकाय गेला ।
बाबू हो हम्म ठ्काय गेला।।
ज़माना देखो कत्ह बदली गेलै
आपनो माटी स दूर होय गेलै।
पगड़ी के लाज खातिर ,
आपनो संस्कृति अपनाबो।
रिश्ता सब टूटी रहलो छै ,
होकरा बचावो।।
कोयल जैसन बोली क,
तोता जैसन रटाय गेला।
बाबू हो हम्म ठ्काय गेला।।
बड़ी उम्मीदो स ,
समझौता करलिये।
घर वर देखी सूनी ,
केकरो नाय पुछलिये ।
दहेज प्रथा के चक्कर म,
बैलों जैसन बिकाय गेला।।
बाबू हो हम्म ठ्काय गेला।।


जयकृष्णा पासवान
स०शिक्षक उच्च विद्यालय बभनगामा बाराहाट बांका

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