इंसानियत-अमरनाथ त्रिवेदी

Amarnath Trivedi

वफ़ा की सर्वत्र खुशबू मिले ,
सरल ह्रदय – सरल मिले ।
न जहाँ कोई बेगानापन ,
जहाँ न हो उजड़ा चमन ।
सभी मिले – सभी खिले ,
हर हाथ को खुशियाँ मिले ।
उठे नयन ; चूमे गगन ,
पर विजय में न रहो मगन ।
इधर भी देख इक रास्ता ,
जिससे हो तुम्हारा वास्ता ।
कर्म कर – सुकर्म कर ,
नही कभी दुष्कर्म कर ।
भले के लिए तुम हो भला ,
शत्रुओं के लिए तुम हो बला ।
कभी नही झुके नयन ,
कभी नही रुके चरण ।
किसी का दिल न तोड़ना ,
कभी मनुष्यता न छोड़ना ।
हर स्वप्न तुम्हारा साकार हो ,
इसमें इंसानियत का आधार हो ।

रचयिता :-
अमरनाथ त्रिवेदी
प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्च विद्यालय बैंगरा
प्रखंड – बंदरा ( मुज़फ़्फ़रपुर )

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