सरस्वती वन्दना- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

Jainendra

दे विमल बुद्धि भावना, माँ शारदे है प्रार्थना ,
ऐसी शक्ति दे मां कर सकूं, हर संकटों का सामना।
बालक बड़ा नादान हूं, धर्म-कर्म से अनजान हूं,
जैसा भी हूं आशीष दे, आखिर मैं तेरा संतान हूं।
चरणों में मैं तेरे पड़ा, हाथ बढ़ा कर थामना।।
मेरे मन मंदिर में मां, बहाना करूणा की धारा,
प्रेम की अमृत बूंदों से प्लावित हो यह जग सारा।
एक यही वरदान देना, नित्य करूं साहित्य की साधना।।
सभी का मैं काम आऊं, दिल किसी का न दुखाऊं,
हर प्राणी के दर्द का, राहत भरी दवा बन जाऊं।
यही है एक चाह मेरी, इतनी है बस कामना।।

जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
म.वि. बख्तियारपुर, पटना

Leave a Reply

SHARE WITH US

Share Your Story on
info@teachersofbihar.org

Recent Post

%d bloggers like this: