देवों के देव महादेव- मनोज कुमार

Manoj (Vaishali)

यूं ही ना कहते हम
देवों के देव महादेव

कर्म पथ पर हर पल अग्रसर,
विराम का ना कोई चिंतन,
भूतल, वन या हिम शिखर,
कदम ना रुके कहीं पे एक पल,
वर्षा हो या शीत की संगत,
रंगत हमेशा दिखे अनुपम ।

हर पल रहते परिवार के संग,
संयुक्त परिवार जिनका है अंग,
सब समझे अपने कर्म का मर्म,
उत्तर भारत में दिखे अनुपम रंग ,
धन-वैभव, शील-शौर्य के संग,
गण गणेश बन जाते देव प्रथम,
जिनके बिन ना होता कोई पूजन ।

दक्षिण के तन में एक ही मन,
उत्तर के कार्तिक बन गए मुरुगन,
वीर बलशाली कामदेव के संगम,
जिन पर नर-नारी करे समर्पण।

इस धरा में जहाँ हो ऊभरी मिट्टी
बन जाती वह देवी शक्ति की पिंडी
शक्ति पीठ के नमन की जो हो पट्टी
मां पार्वती की वहीँ पे भक्ति की शक्ति।

हिंसक विषधर या हो सज्जन
इस जहां में जीव हो जइसन
सबके स्वामी सबके साथी
जग कल्याण के वे खातिर
पी जाते हैं विष की प्याली
सहज, सरल, भोलेभंडारी
शिव की लीला दिखे न्यारी।

परिवार के पाठ का सिग्नेचर,
इस जंक्शन पे प्रेम कनेक्शन;
ना दिखे दांव-पेंच का दंगल,
ना चलाओ तुम जंतर-मंतर,
गुंजे-गान मंगल-मंगल।
भोलेनाथ दिखाए दर्पण।

महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं

मनोज कुमार
सहायक शिक्षक
रा.आ.चौ.उ.म.वि.धानेगोरौल प्रखंड गोरौल जिला वैशाली

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