मेरा विद्यालय-मधुमिता

Madhumita

मेरा विद्यालय

कितना प्यारा कितना सुंदर कितना न्यारा कितना मनोहर
मेरा विद्यालय मेरा घर

रोज सुबह नित्य क्रिया कर
तैयार होते हम नहा धोकर

किताबों को बस्ते में डालकर उछलते कूदते चल दिए विद्यालय की डगर
देखते, सभी सहपाठी एक दूजे को मुड़-मुड़ कर

पहुँच गए सब विद्यालय प्रांगण उत्साह और कौतूहल से भरा हमारा तन-मन
चेतना सत्र भी करता मनोरंजन छात्रों संग खड़े सभी शिक्षक गण

बापू की पाती की नई कहानी अध्यापक महोदय को है, सुनानी प्रश्न उत्तर हम बच्चों को भी है, बतानी
तभी बढ़ेगी आगे कहानी

अनुशासन ही है पहला पाठ जीवन का
बिना अनुशासन शिक्षा नहीं किसी काम का
विनम्रता और अहिंसा पहचान है गाँधी जी का
प्रेम और सद्भावना मंत्र है जीवन का

कितने प्यारे शिक्षक हमारे नित्य कराते गतिविधि प्यारे-प्यारे

खेलकूद सदा हम बच्चों को भाता
घर से भी प्यारा विद्यालय हमें लगता
बगीचे में बच्चों ने धमाचौकड़ी मचाई
शिक्षिका ने विज्ञान की महत्वपूर्ण बातें बताई

पत्ते और फूलों से हमें समझाया
कैसे पौधे ने अपना भोजन बनाया
अंको को कागज पर लिखवाया फिर हम बच्चों का जोड़ा बनाया

खेल-खेल में जुड़ गए हम
बन गया जोड़, समझ गए हम

अब आई हिंदी की बारी
आ गई हमारी शिक्षिका प्यारी

भालू ने कैसे आलू पराठा बनाया
गाकर हम सब को बताया
गाना फिर हम सब से भी गंवाया हम बच्चों को बड़ा मजा आया

अब आए शिक्षक महोदय
करने हम सबका ज्ञानोदय

स्वच्छता का महत्व बतलाया साबुन पानी से हाथ धुलवाया स्वादिष्ट और संतुलित भोजन हम सबको खिलाया
एक साथ खाते हम बच्चों को बड़ा मजा आया

अब आई अंग्रेजी की बारी
आई दूसरी शिक्षिका प्यारी

रेडियो और मोबाइल से गतिविधि करवाती
शब्द अंताक्षरी हम सबको है भाती
रोज नए अभिनय हमसे कराती प्यार से हम बच्चों को पुचकारती

खत्म हुई पढ़ाई मैदान में आ गए हम
खो खो, कबड्डी, कैरम बोर्ड खेले हम
सदा मदमस्त हम बच्चे नहीं कोई गम
बज गई घंटी हो गई छुट्टी बस्ता उठाकर निकल गए हम
खेलते कूदते और चहकते घर पहुंच गए हम
हो गई शाम पढ़ने बैठे हम
हो गया गृह कार्य पूरा और सो गए हम
कल क्या होगा विद्यालय, में सपनों में खो गए हम

कितना सुंदर कितना प्यारा
कितना न्यारा कितना मनोहर
मेरा विद्यालय मेरा घर

मधुमिता ✍️✍️✍️
मध्य विद्यालय सिमलिया
प्रखंड -बायसी
जिला- पूर्णिया (बिहार)

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