अष्टमी का महाव्रत – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

Jainendra

भारत में नर-नारी
समूल संकट हारी,
श्रद्धा पूर्वक रखते, अष्टमी का उपवास।

गृहस्थ हो याकि संत,
भक्ति भाव में हो रत,
सबसे उत्तम व्रत, रोग दोष करे नाश।

मंगल कल्याणकारी
बीज मंत्र दुःख हारी,
करते हैं जाप लोग, हर आती जाती स्वांस।

जो भी नित्य ध्यान करें
भक्ति रसपान करें,
माता सदा करती हैं उनके दिलों में बास।

जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

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